Ganesh Chaturthi In Hindi 2021: गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती हैं

 

Ganesh Chaturthi In Hindi गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती हैं भारत एक ऐसा देश हैं जहाँ कई धर्मो व मान्यताओं को मानने वाले लोग एक साथ मिल जुलकर रहते हैं। यह एक मुख्य कारण है कि भारत मे हर साल सेकड़ो त्यौहार मनाए जाते हैं और हर त्यौहार की अपनी एक विशेषता होती हैं। भारत मे मनाए जाने वाले सनातन धर्म के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक गणेश चतुर्थी भी हैं। गणेश चतुर्थी का त्यौहार वैसे तो सभी राज्यो में बखूबी मनाया जाता हैं लेकिन कुछ राज्य जैसे कि महाराष्ट्र व गुजरात मे यह त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता हैं। अगर आप उन लोगो मे से एक हो जो गणेश चतुर्थी के बारे में जानना चाहते हैं तो यह लेख पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम गणेश चतुर्थी क्या होती हैं, गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती हैं, गणेश चतुर्थी का महत्व आदि सभी विषयों पर बात करते हुए इस साल गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाएगी (Ganesh Chaturthi 2021 Date) की जानकारी भी देंगे।

गणेश चतुर्थी क्या हैं?Ganesh Chaturthi In Hindi

गणेश चतुर्थी भारत मे मनाए जाने वाले सबसे बड़े त्यौहारों में से एक हैं जो सनातन धर्म से सम्बंधित हैं। गणेश चतुर्थी सनातन धर्म से सम्बंधित सबसे बड़े त्यौहारों में से एक हैं। गणेश चतुर्थी के बारे में मान्यता हैं कि इस दिन सनातन धर्म के सबसे प्रमुख भगवानों में से एक भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व गणेशोत्सव आदि के नाम से भी जाते हैं। गणेश चतुर्थी का त्यौहार कई राज्यो में पूरे 10 दिन तक मनाया जाता हैं जिदमे घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की जाती है और उनकी रोजाना पूजा की जाती है वह अंतिम दिन उनकी प्रतिमा का नदी, तालाब व समुन्द्र में विसर्जन किया जाता है। सरल भाषा मे अगर गणेश चतुर्थी का मतलब समझा जाये तो यह वह दिन हैं जिस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और सनातन धर्म के सभी अनुयायी उनके जन्मदिन को गणेश चतुर्थी के नाम से मनाते हैं।

साल 2021 में गणेश चतुर्थी कब मनाई जाएगी?

गणेश चतुर्थी का त्योहार सनातन धर्म से संबंधित त्यौहार है और अन्य कई सनातनी त्योहारों की तरह यह त्यौहार भी भारतीय पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं। इस अनुसार यह त्यौहार 10 सितम्बर को मनाया जाएगा। अगर त्यौहार के एक्यूरेट समय की बात की जाए तो यह 9 सितम्बर की रात 12 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा और 10 सितम्बर को रात 11 बजकर 57 मिनट तक चलेगा।

 गणेश चतुर्थी 2021 के मुहूर्त क्या हैं?

सनातन धर्म के बारे में कुछ बाते काफी खास हैं उनमें से एक यह भी हैं कि सनातन धर्म से सम्बन्धित त्यौहारों में पूजा अर्चना के लिए कुछ खाद मुहूर्त होते है और उसके अलावा अन्य शुभ कामो के लिये भी यह मुहूर्त होते है।गणेशजी चतुर्थी के त्यौहार में भी कुछ मुहूर्त हैं जो इस प्रकार हैं:

• 09.12 से 20.54 तक 10 सितम्बर को चंद्र दर्शन से बचे

• 06.03 AM से 08.33 AM तक सुबह का मुहूर्त रहेगा

• 11.04 AM से 13.32 PM तक दोपहर गणेशपूजा का मुहूर्त रहेगा

• 11.30 AM से 12.20 PM तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा

• 6.52 AM से 8.28 AM तक अमृत काल रहेगा

• 4.10 AM से 5.55 AM तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा

• 1.59 PM से 2.49 PM तक विजय मुहूर्त रहेगा

• 5.55 PM से 6.19 PM तक गोधुली बेला का समय रहेगा

• 11.32 PM से 12.18 AM तक 11 सितम्बर को निशिता काल रहेगा।

• 5.42 AM से 12.58 PM तक रवि योग रहेगा

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती हैं?

गनष चतुर्थी का त्यौहार देश मे मनाए जाने वाले सबसे बड़े त्यौहारों में से एक हैं जिसे कुछ राज्यो जैसे कि महाराष्ट्र व गुजरात मे तो 10 से भी अधिक दिन मनाया जाता है और हर एक दिन जश्न होता हैं व अंतिम दिन ढोल नगाड़ों के साथ गणेश महाराज की प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता हैं। गणेश चतुर्थी को मनाने का यही मुख्य कारण हैं कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भगवान गणेश को सुख व समृद्धि का प्रतीक माना जाता हैं जो भक्तों की सभी समस्याओं को दूर करते हैं। भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य मे सबसे पहले पूजे जाने का वरदान भी प्राप्त हैं। ऐसे में भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए और अपनी व्यक्तिगत आस्था की वजह से गणेश चतुर्थी मनाई जाती हैं।

गणेश चतुर्थी से सम्बंधित कथाएं

सनातन धर्म से सम्बंधित त्यौहारों के बारे में एक बात यह खास हैं कि हर त्यौहार से सम्बंधित कुछ पौराणिक कथाएं हैं। पहले के समय मे धर्म मे अधिक रुचि होने की वजह से सभी को यह कथाएं याद रहती थी लेकिन अब पहले वाली बात कह रही? तो अगर आप गणेश चतुर्थी से सम्बंधित कथाओं के बारे में जानने में रुचि रखते हैं तो वह कुछ इस प्रकार हैं:

• भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष को चतुर्थी को हुआ था भगवान गणेश का जन्म

विनायक चतुर्थी के बारे में जो सबसे लोकप्रिय कथा हैं वह कुछ इस प्रकार हैं कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। कहा जाता हैं कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को ही गणेश पूजा के लिये भी अधिक उपयुक्त माना जाता है। मान्यता हैं कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न काल के दौरान अर्बुद पर्वत (माउंट आबू) पर जन्म लिया था जिसे अर्बुदारण्य भी कहा जाता हैं।

• माता पार्वती के हाथों के मेल से का था भगवान गणेश का जन्म

गणेश चतुर्थी से सम्बंधित कई मान्यताओं में से एक यह भी हैं कि भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती के हाथों के मेल से हुआ था। जी हाँ, भगवान गणेश के जन्म को लेकर मान्यता है कि देवी पार्वती जब नहाने जा रही थी तो उन्हें एक ऐसा रक्षक चाहिए था जो पूरी तरह से उनके लिए समर्पित हो। अन्य सेवक भगवान शिव व कुछ अन्य विशेष के आदेशों को नही टाल सकते थे तो ऐसे में देवी ने अपनी रक्षा के लिए अपने मेल से भगवान गणेश को जन्म दिया। जब वह नहाने गयी तो उन्होंने अपनी रक्षा के लिए गणेश को बाहर बैठा दिया था।

• इस तरह से भगवान गणेश को मिला था हाथी का सिर

आज के समय में जब हम भगवान गणेश को देखते हैं तो पता लगता है कि भगवान गणेश का सर हाथी के सर की तरह दिखता है लेकिन जब देवी पार्वती ने उन्हें जन्म दिया था तब वह बिल्कुल किसी अन्य साधारण बालक की तरह दिखते थे। दरअसल जब देवी ने पार्वती नहाने गयी थी तो उनसे मिलने भगवान शिव आये थे तो भगवान गणेश ने भगवान शिव को अंदर नही जाने दिया। भगवान शिव बाल गणेश से अपरिचित थे जिसकी वजह से उन्होंने क्रोधित होकर गणेश का सर काट दिया। इसके बाद गुस्सा शांत होने पर जब उन्हें पुरी बात पता चली तो माता पार्वती के आग्रह पर उन्होंने पास में हाथी का सिर मिलने पर उसका सिर्फ भगवान गणेश के शरीर पर लगाया और उन्हें पुनः जीवित किया।

• इसलिए कहते हैं भगवान गणेश को विघ्नहर्ता

भगवान गणेश को सुख व समृद्धि का देवता कहा जाता है और साथ ही उन्हें विघ्नहर्ता भी कहते हैं। सरल भाषा में विघ्न हरता का मतलब भक्तों की समस्याओं को दूर करने वाला होता है जो भगवान गणेश करते हैं। लेकिन अगर बात की जाए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता क्यों कहते हैं इस मामले की तो कुछ मान्यताए यह भी कहती है कि देवताओं के आग्रह पर भगवान गणेश को शिव व पार्वती ने साथ मिलकर बनाया था। उन्होंने देवताओं व मनुष्य को परेशान करने वाले काफी सारे राक्षसों का वध किया था जिसकी वजह से उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है।

गणेश चतुर्थी व बुढ़िया की लोकप्रिय कथा क्या हैं?

गणेश चतुर्थी से सम्बन्धित पौराणिक कथाएं हमने आपको उर बताई हैं लेकिन गणेश चतुर्थी से सम्बंधित एक लोककथा हम आपको अब बताने वाले हैं जो भगवान गणेश व एक बुढ़िया की लोककथा हैं।

तो कथा कुछ इस प्रकार है कि एक गांव में एक बुढ़िया रहा करती थी जो अंधी थी और उसके एक बेटा व बहू थी। वह बुढ़िया भगवान गणेश के परम भक्त थी और रोजाना भगवान गणेश की पूजा किया करती थी तो एक दिन भगवान गणेश उससे काफी प्रसन्न हो गए और उसके सामने प्रकट होकर कहा कि तुम्हें जो मांगना है वह तो मांग सकती हो।

बुढ़िया ने गणेश जी से कहा कि उसे मांगना नहीं आता तो वह मान ही कर सकती है तो ऐसा में गणेश जी ने कहा कि तुम अपने बेटे और बहू से पूछ कर मुझसे मांग सकती हो! जब बढ़िया ने अपने बेटे से पूछा कि उसे गणेश जी से क्या मांगना चाहिए तो बेटे ने उससे धन-संपत्ति मांगने को कहा तो बहू ने बुढ़िया के द्वारा पूछे जाने पर नाती मांगने को कहा।

ऐसे में बुढ़िया ने सोचा कि उसके बेटे और बहू दोनों अपना भला चाहते हैं तो वह पड़ोसियों के पास गई तो पड़ोसी ने उसे सुझाव दिया कि तुम थोड़े दिन ही जीने वाली हो तो ऐसे में धन बनाती है मांग कर क्या करोगी! तुम भगवान गणेश से अपने लिए दृष्टि मांग लो जिससे कि अपने अंतिम समय में इस दुनिया को देख सको।

तो ऐसे में गुड़िया ने भगवान गणेश से कहा कि अगर आप मुझसे परेशान हो तो ‘मुझे 9 करोड़ की राशि दीजिये, दृष्टि दीजिये, बेहतर स्वास्थ्य दीजिए, अमर सुहार दीजिये, पोते व नाती दीजिये, परिवार को खुशियां व समृद्धि दीजिये और अंत मे मुझे मोक्ष दीजिये’। बढ़िया की बात सुनकर भगवान गणेश ने कहा कि तुमने तो सब मांग लिया लेकिन मैं तुम्हारी सारी मनोकामना पूरी कर देता हूं! तो ऐसे में भगवान ने बुढ़िया की सारी मनोकामना पूरी कर दी। यही कारण हैं कि भगवान गणेश को सुख व समृद्धि देने वाले देवता के रूप में सम्बोधित किया जाता हैं।

गणेश चतुर्थी की पूजा कैसे की जाती हैं?

अगर आप गणेश चतुर्थी का त्योहार सटीक रूप से मनाना चाहते हो तो इसके लिए आपको गणेश चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में पता होना चाहिए जो हम आपको यहां पर बताने वाले हैं। तो गणेश पूजा के लिये आपको सबसे पहले सुबह उठकर लाल कपड़े पहनने है। इस बात का ध्यान रखे कि पूजा के दौरान भगवान गणेश की प्रतिमा का मुँह पूर्व या उत्तर दिशा में रहना चाहिए। पूजा में सबसे पहले पंचामृत से भगवान गणेश का दूध, दही, घी या शहद का उपयोग करते हुए अभिषेक किया जाता है और बाद में उन्हें गंगाजल से नहलाया जाता हैं।

इसके बाद भगवान गणेश को रोली सृजित कलावा चढ़ाया जाता हैं और फिर सिंदूर भी। इसके बाद भगवान गणेश को रिद्धि सिद्धि के रूप में पैन व सुपारी आदि चढ़ाए जाते हैं। दूध, फल व पिला कनेर का चढ़ावा इसके बाद दिया जाता हैं। इसके बाद भगवान गणेश को उनके पसंदीदा मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है और इस भोग के बाद गणेश जी की आरती करते हुए उनके 15 नामों का गणेश मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस तरह से गणेश चतुर्थी की आरती सम्पन्न होती हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व क्या हैं?

गणेश चतुर्थी सनातन धर्म से जुड़े सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और कुछ राज्य में तो इसे इतनी धूमधाम से मनाया जाता है कि दुनिया के कई बड़े त्यौहार व उत्सव भी इसके आगे फीके लगते हैं। गणेश चतुर्थी देश में मनाए जाने वाले सबसे बड़े और सम्मानीय त्योहारों में से एक है जिसे करीब 10 दिनों तक मनाया जाता है। ईश्वर हर किसी की आस्था का केंद्र होता है और सनातन धर्म के अनुयायियों का भगवान गणेश पर काफी विश्वास है जिसकी वजह से वह उनके जन्मदिन को काफी धूमधाम से मनाते हैं। भगवान गणेश को सुख और समृद्धि का देवता माना जाता है जो अपने भक्तों के दुखों को हर के उन्हें खुशहाली प्रदान करते हैं तो ऐसे में भक्त उन्हें खुश करने के लिए गणेश चतुर्थी मनाते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि गणेश चतुर्थी का त्योहार आस्था से मनाया जाता है और इसमें कोई व्यक्तिगत लालच शामिल नहीं होता और यही कारण हैं कि गणेश चतुर्थी देश के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक भी है।

Nitesh Verma

नमस्कार दोस्तों, मैं Nitesh Verma hindimegeyan.com का Author और Founder हूँ. Technology, Internet सम्बंधित ब्लोग लिखता हु आशा करता हु आप को मेरी blog अच्छा लगा होगा. आपसे विनती है की आप इसी तरह मेरे सहयोग करते रहिये और मैं आपके लिए नई नई Technology, Internet सम्बंधित ब्लोग लिखता रहूँ, धन्यवाद

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