पिछले कुछ सालो में ऑक्सीजन एक बड़ा चर्चा का विषय है। Oxygen Kaise Banta Hai ऑक्सीजन की जरूरत होने के बावजूद कुछ मरीजों को ऑक्सीजन नही मिल पा रहा और यह एक गंभीर मुद्दा है। क्या आप जानते है की oxygen kaise banta hai? क्या आपने कभी ऐसा सोचा है की वातावरण में ऑक्सीजन मौजूद है पर ये सिलेंडर में कैसे आती है? शायद नहीं, चलिए इस बारे में जानते है।
Oxygen Kaise Banta Hai
वातावरण में जो हवा मौजूद है उसमे ऑक्सीजन काफी कम होता है और नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा होती है। जबकि कंप्रेशन के बाद जो ऑक्सीजन तैयार होता है वो 99.5% शुद्ध होता है। ज्यादातर इसका इस्तेमाल चिकित्सा के क्षेत्रों में होता है लेकिन कई स्टील की कंपनियां भी इसका इस्तेमाल करती है। और ये पर्वतारोहन और डाइविंग के लिए भी इस्तेमाल में आता है।
Oxygen kaise banta hai- step by step process
वातावरण में ऑक्सीजन काफी मात्रा में मौजूद है लेकिन प्रश्न ये है की वो सिलेंडर में कहा से आता है? तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की ये डेस्टिलेशन प्रोसेस से बनती है जिसका नाम क्रायोजेनिक डेस्टिलेशन प्रोसेस है।
- इस प्रक्रिया में सबसे पहले हवा को फिल्टर किया जाता है। ऐसा करना जरूरी इसीलिए है ताकि ये धूल मिट्टी से अलग हो सके। इसके बाद कंप्रेस करने की प्रक्रिया होती है जिसमे हवा पर भरी दवाब दिया जाता है।
- इसके बाद अगली स्टेप में हवा को मॉलिक्युलर छलनी एडसोर्बर से ट्रीट किया जाता है। इस प्रोसेस में पानी के कणों को कार्बनडाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन से अलग किया जाए।
- अब अगले प्रोसेस में डेस्टिलेशन किया जाता है। इस प्रोसेस में पहले कंप्रेसड हवा को ठंडा किया जाता है और फिर उसे 185 डिग्री सेंटीग्रेट पर गर्म किया जाता, इससे हवा को डिस्टिल्ड किया जाता है।
- डिस्टिल्ड एक ऐसे प्रक्रिया है जिसमे पानी को उबाला जाता है और उससे निकली ही भाप को कंडेंस किया जाता। फिर उसे एक कंटेनर में में जमा कर लिया जाता।
- इस डेस्टिलेशन की प्रक्रिया को बार बार किया जाता है ताकि सारी गैस जैसे की ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और आज अलग अलग हो सके। इस प्रक्रिया के बाद ऑक्सीजन मिल जाती है लिक्विड और गैस के फॉर्म में।
- इस पूरे प्रोसेस के बाद जो ऑक्सीजन तैयार होता है उसे सिलेंडर में भरकर कंपनियां मार्केट में पहुंचती है। इसका उपयोग पिछले कुछ सालों से काफी बढ़ चुका है।
ऑक्सीजन सिलेंडर कैसे काम करता है?
ऑक्सीजन सिलेंडर कंप्रेस्ड ऑक्सीजन से भरा हुआ होता है। इसका ऊपरी हिस्सा में रेगुलेटर लगाया जाता है जिससे ऑक्सीजन के फ्लो को एडजस्ट किया जाता है। फ्लो का रेट क्या होना चाहिए ये डॉक्टर तय करते है। इसमें एक यंत्र लगा होता है जिसे बैरोमीटर बोलते है उसका उपयोग दबाव नापने के लिए होता है।
सिलेंडर के ऊपर एक वाल्व लगा होता है जिसे हल्के से घुमाया जाता है। इसके बाद रेगुलेटर पर लगे आउटलेट से ट्यूब को जोड़ा जाता है। फिर ऑक्सीजन को को जरूरी अनुसार एडजस्ट किया जाता है। और इसका उपयोग होने के बाद इसे अच्छे तरह बंद कर दिया जाता है।
कौन कौन से कंपनिया ऑक्सीजन बनाती है?
ऐसी बहुत सारी कंपनिया भारत में है जो ऑक्सीजन बनाती है। ऑक्सीजन का उपयोग सिर्फ लोगो की जान बचाने में नही होती है बल्कि कुछ उद्योगों में भी होती है जैसे की स्टील, पेट्रोलियम।
- रिफेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड
- ऑयनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स लिमिटेड
- नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड
- गगन गैसेस लिमिटेड
- लिंडे इंडिया लिमिटेड
कुछ कंपनिया ऐसे है जो सिर्फ अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई करती है।
- टाटा स्टील– यह कंपनी हॉस्पिटल और राज्य सरकारों को लिक्विड मेडिकल भेज रही है जिसकी क्वांटिटी 200-300 टन है
- जिंदल स्टील– यह 50-100 टन ऑक्सीजन ओडिशा और छतीशगढ़ को दे रही और 185 टन महाराष्ट्र राज्य सरकार को दे रही।
- रिलायंस– यह गुजरात और महाराष्ट्र सरकार को ऑक्सीजन दे रही है।
FAQs:Oxygen kaise banta hai
ऑक्सीजन को कैसे बनाया जाता है?
ऑक्सीजन बनने के लिए पानी को बार–बार गर्म और ठंडा दिया जाता है, ऐसा बार–बार किया जाता है, फिर इस प्रक्रिया के बाद हमें तरल और गैस के रूप में ऑक्सीजन मिलती है।
पृथ्वी पर ऑक्सीजन कैसे बनती है?
पृथ्वी में अधिकतम मात्रा में ऑक्सीजन समुद्रों द्वारा उत्पन्न होती है। जब पानी को कई बार गर्म और ठंडा किया जाता है तो ऑक्सीजन का उत्पादन होता है और इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन बनती है
एक पेड़ कितना ऑक्सीजन पैदा करता है?
यह तय नहीं है लेकिन एक बड़ा पेड़ इतनी ऑक्सीजन देना मुश्किल है कि चार लोगों को ऑक्सीजन मिल सके। पेड़ अपने साथ कार्बन डाइऑक्साइड भी जमा करते हैं, जिससे वे पर्यावरण में डाइऑक्साइड को नियंत्रण में रखने में भी मदद करते हैं।
हवा में कितनी ऑक्सीजन है?
वायु में आयतन के अनुसार 20.95% ऑक्सीजन, लगभग 78.09 प्रतिशत नाइट्रोजन और 0.93 प्रतिशत आर्गन होता है। अन्य 0.03 प्रतिशत ट्रेस गैसों का काढ़ा, जिसमें ग्रीनहाउस गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन शामिल हैं।
पृथ्वी पर ऑक्सीजन के बिना क्या होगा?
जैसे ही पृथ्वी से ऑक्सीजन समाप्त हो जाएगी, तो धीरे–धीरे सभी जीवित प्राणी और सभी जानवर मर जाएंगे, सभी पेड़ और पौधे खुद से मर जाएंगे, और पृथ्वी ढह जाएगी क्योंकि पानी में 88% ऑक्सीजन है और जैसे ही यह है समाप्त होता है तो हाइड्रोजन की स्थिति बदल जाएगी और जिस्सके वजह से धरती नीचे गिर जाएगी और पृथ्वी में मौजूद सभी प्राणी 10-15 किलोमीटर नीचे आ जाएंगे और इससे पृथ्वी के सभी जीव नष्ट हो जाएंगे।
निष्कर्ष
प्रकृति में जो ऑक्सीजन मौजूद है उसे स्वस्थ लोग आसानी से ले सकते है लेकिन जिन लोगो को कोई बीमारी है उन्हे सीधे ऑक्सीजन लेने में तकलीफ होती है।ऐसे में मेडिकल ऑक्सीजन की बारी भूमिका है।हम आशा करते है आपको यह आर्टिकल पसन्द आया होगा और आपने इस आर्टिकल oxygen kaise banta hai से काफी जानकारी ले ली होगी।